वाट्स-अप से सीखें कैसे हासिल करें कामयाबी || lessons from whats app dont let failures deter you
कहानी पूरी
फिल्मी है। अपनी मां के साथ प्रवासी जीवन बिताने वाला एक शख्स अरबपति बन
जाता है। और इसमें सिर्फ उसकी किस्मत नहीं, बल्कि उसकी मेहनत, लगन, कभी
हार न मानने की प्रवृत्ति और चुनौतियों को अवसर में बदलने का जज्बा। यही
वे खूबियां हैं, जिन्होंने किराने की एक दुकान में पोंछा लगाने वाले यॉन
कॉम को 19 अरब डॉलर यानी करीब एक लाख 18 हजार करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम
का मालिक बना दिया।
आखिर क्या है यॉन के कामयाब सफर की कहानी और हमारे लिए सबक
जिंदगी से हार न मानना
यूक्रेन की राजधानी कीव के पास के एक गांव
में यान का जन्म हुआ। तंगहाली इतनी कि उधार की किताबों से पढ़ाई करनी
पड़ी। कंस्ट्रक्शन मैनेजर पिता की इस इकलौती संतान को इस मुश्किलों ने
जीवन की बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार किया।
क्या सीखें- मुश्किलें हर किसी के जीवन
में आती हैं। यह आपका नजरिये पर निर्भर करता है कि आप उसे किस प्रकार लेते
हैं। यान ने उन मुश्किलों के जरिये खुद को मानसिक रूप से दृढ़ बनाया। अकसर
हमने लोगों को मुश्किलों में बिखरते हुए देखा है, लेकिन कठिन समय के बाद ही
अच्छा और सुनहरा वक्त आता है यह हमें नहीं भूलना चाहिए।
अभाव का रोना न रोयें
कॉम को कंप्यूटर का शौक था, लेकिन आर्थिक
हालात राह में रोड़े अटका रहे थे। लेकिन, जो हार मान जाए उसे कामयाबी कभी
नहीं मिलती। कॉम ने कंप्यूटर का काम सीखने के लिए कंप्यूटर की पुरानी
किताबों का सहारा लिया। वे उन किताबों को पढ़ते और पढ़कर लौटा देते। इसी से
धीरे-धीरे वे उन्होंने यूनिवर्सिटी तक पहुंच बनाई।
क्या सीखें - किसी का भी जीवन संपूर्ण
नहीं है। हर किसी के जीवन में कोई न कोई कमी अवश्य है। तो, यदि आप कामयाबी
हासिल करना चाहते हैं तो हार मानने के स्थान पर अपनी रचनात्मकता को
जगाइए और ऐसे रास्ते तलाशिये जो आपको अभाव में भी सफलता तक पहुंचा सकें।
अपनी क्षमताओं और परिस्थितियों का संपूर्ण दोहन कीजिए। यही कामयाबी का मूल
मंत्र है।
सही दोस्त
अपने कॅरियर के सफर के दौरान यॉन की
मुलाकात ब्रायन एक्टन से हो गयी। वे कंप्यूटर प्रोग्रामर थे। दोनों ने
मिलकर नौ साल तक याहू में काम किया। उन दोनों के काम में परेशानियां आती
रहीं, लेकिन उन्होंने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। आगे चलकर दोनों ने यह
कंपनी बनायी जिसे खरीदने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग
वेबसाइट ने अपनी 11 फीसदी रकम खर्च कर दी।
क्या सीखें- सही और अच्छे दोस्त बहुत
नसीब से मिलते हैं। उन्हें पहचानिये और उनका साथ कभी न छोडि़ये। ऐसे लोग
जिनके सपने, इरादे और तरीके आपसे मेल खाते हों, उनका साथ मुश्किल वक्त में
जरूर देना चाहिए। याद रखिए एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
असफलता से ही खुलते हैं सफलता के द्वार
याहू से नौकरी छोड़ने के बाद यॉन ने 2009
में टि्वटर और फेसबुक में नौकरी के लिए दरवाजा खटखटाया। लेकिन, यहां भी उसे
कामयाबी नहीं मिली। यॉन ने निराश होने के स्थान पर फेसबुक को ही चुनौती
देने की सोची। सोच बड़ी थी, लेकिन उस समय कई लोगों ने इस बचकाना भी कहा
होगा। हालांकि यॉन को मालूम था कि उन्हें क्या करना है और कैसे करना है।
क्या सीखें- नौकरी के लिए रिजेक्ट होने
का अर्थ हमेशा यह नहीं होता कि आप उसके काबिल नहीं है, संभव है कि कंपनी भी
आपकी प्रतिभाओं का सही आकलन करने में चूक गयी हो। यदि आपके पास नया विचार
है और उस विचार को पूरा करने की सोच और क्षमता है, तो कोई भी मुश्किल आपका
रास्ता नहीं रोक सकती। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जब लोगों ने
शुरुआती नाकामी के बाद सफलता के नये मुकाम तय किये।
वक्त के साथ नहीं, वक्त से आगे चलें
कामयाब लोग वक्त के साथ नहीं चलते, बल्कि
वक्त को अपने पीछे चलने पर मजबूर करते हैं। 2009 में यॉन ने एक आईफोन
खरीदा। बस यहीं उनकी समझ में आ गया कि आने वाला वक्त मोबाइल एप्स का है।
वे जान गए थे कि मोबाइल की सीमित बैटरी के चलते लंबी बातें करना आसान नहीं।
इसी का फायदा उठाकर उन्होंने एक एप्प बनाया 'वाट्सअप' यानी क्या हो रहा
है (what is up)।
क्या सीखें - कामयाबी का मूल मंत्र- सजग
रहें, सचेत रहें और फौरन काम करें। आपको अपने आसपास की घटनाओं के प्रति सजग
रहना चाहिए। चीजों को नये नजरिये से देखने की प्रवृत्ति पैदा करनी चाहिए।
अपने भीतर का जिज्ञासु कभी मरने न दें। कुछ नया जानने और सीखने की कोशिश
करते रहें। और जैसे ही दिमाग में कोई नया रचनात्मक आइडिया आए उसे भुनाने
में जुट जाएं। कामयाबी जरूर मिलेगी।
सुधार है जरूरी
24 फरवरी, 2009 को यॉन ने वाट्सएप इंक
कंपनी को कैलिफोर्निया में रजिस्टर करवाया। शुरू में वाट्सएप चलने में
परेशानी पैदा करता था। वह सही प्रकार से काम नहीं करता था। लेकिन,
धीरे-धीरे उसमें सुधार हुआ और वह तेजी से आगे बढ़ता गया। यॉन ने ऐक्टन को
अपने साथ ले लिया। 2011 में वाट्सएप को अमेरिका के टॉप 10 एप्स में माना
गया। 2012 तक यह फेसबुक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाने लगा।
क्या सीखें - कोई भी चीज पहली बार में ही
परफेक्ट बन जाए यह जरूरी नहीं। हर व्यक्ति और वस्तु में सुधार की
गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। अपने को इसके लिए तैयार रखें। असफलता अथवा
चुनौतियों से सीखें और उसमें सुधार करें। यही सुधार धीरे-धीरे आपको एक
बेहतर और परिष्कृत व्यक्ति बना देगा। इस नियम को निजी और व्यावसायिक
जीवन में भी कामयाबी दिला सकता है।
क्वालिटी मायने रखती है
दिलचस्प बात यह है कि वाट्स अप के पास
अपनी बिल्डिंग भी नहीं है और वह अभी बन ही रही है। उससे भी बड़ी बात है कि
इस कंपनी में सिर्फ 50 कर्मचारी हैं। लेकिन इस कंपनी को खरीदने में फेसबुक
ने इतनी बड़ी रकम खर्च की। इससे यह प्रमाणित होता है कि आप कितना काम करते
हैं यह मायने नहीं रखता। मायने यह रखता है कि आप कैसा काम करते हैं।
क्या सीखें- भेड़ चाल में शामिल न हों।
अगर आप बॉस हैं तो अपने कर्मचारियों को काम का स्तर सुधारने के लिए
प्रेरित करें। इससे उनकी रचनात्मकता निखरकर आएगी जिसका फायदा आखिरकार
कंपनी को ही मिलेगा। और अगर आप जीवन में संघर्षरत हैं, तो भी हमेशा अच्छे
स्तर का काम करने की सोचिए। अपना निजी और व्यावसायिक स्तर ऊंचा उठाते
रहिए। याद रखिए हार्ट वर्क से ज्यादा स्मार्ट वर्क मायने रखता है। और
स्मार्ट वर्क का अर्थ काम से जी चुराना नहीं होता....।
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